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Roza Kholne ki Dua – कहीं आप रोजा खोलते वक़्त गलत दुआ तो नहीं पढ़ते?

Summary :-

roza kholne ki asal dua

दोस्तों, आम तौर पर लोग इफ्तार (roza kholne) के लिए ये dua पढ़ते है, “अल्लाहुम्मा इन्नि लका सुमतो…” लेकिन ये दुआ साबित नहीं है, क्योंकि जिस हदीस में ये दुआ मौजूद है यानी की अबू दाऊद की हदीस नंबर 2358 ये हदीस जइफ यानी की कमज़ोर है, इसलिए उमलेमा इस दुआ को पढ़ने से मना फरमाते है, (roza kholne ki dua in hindi)

तो अब सही दुआ कौनसी है? यही में बताने जा रहा हु, जो दुआ सही हदीस से साबित है और हमारे उलेमा ए इकराम ने जिसे पढ़ने की हिदायत की है वो दुआ में आज आपको बताऊंगा, और में आपको ये दुआ बहुत सारी भाषाओं में जैसे की English में, arabic, hindi और gujarati में बताने वाला हु, ताकि आप जिस भाषा में भी कंफर्टेबल हो उसी भाषा में पढ़ सको।

Roza Kholne ki Dua :-

Arabic:

“ذَهَبَ الظَّمَأُ وَابْتَلَّتِ الْعُرُوقُ وَثَبَتَ الأَجْرُ إِنْ شَاءَ اللَّهُ”

Roman English:

“Zahab az-zama wabtalat il-‘uruq wa Sabata al-ajr Inshallah”

Hindi:

“जहब अज़्जमा वबतल्लत इल उरुक व सबतल अजर इंशाल्लाह”

Gujarati:

“ઝહબ અઝઝમા વબતલ્લત ઇલ ઉરુક વ સબતલ અઝર ઇન્શાલ્લાહ” 

दुआ का तर्जुमा (meaning):

‘प्यास खत्म हो गई, रगे तर हो गई, और सवाब मिल गया अगर अल्लाह ने चाहा तो (इंशाल्लाह)’ 

हदीस का हवाला (reference) :-

ये जो दुआ मैने आपको बताई है ये अबू दाऊद की हदीस नंबर 2357 में मौजूद है, इस हदीस में अब्दुल्लाह इब्ने उमर कहते हैं की हमने अल्लाह के रसूल ﷺ को roza kholne से पहले ये dua पढ़ते देखा है।

रोजा खोलते समय ध्यान देने वाली बातें :-

दोस्तों roza kholne से ठीक पहले का जो वक्त होता है जब आप दस्तरख्वान पर बैठे होते हो, वो वक्त दुआ (Dua) की कुबुलियात के लिए बहुत ही खास होता है, इसलिए इस वक्त को फुजूल की बातों में या किसी और काम में जाया ना करे, बल्कि इस वक्त में ज्यादा से ज्यादा दुआएं मांगें, हो सकता है आपकी वो दुआए कुबूल हो जाए,

हदीस ए पाक में आता है की इफ्तार के वक्त रोजेदार की दुआओं को रद नही किया जाता (Sunan Ibne Maja 1753) इसलिए roza kholte वक्त ज्यादा से ज्यादा दुआएं करे, अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी तलब करे, या फिर अपनी जायज हाजतों के लिए दुआएं मांगें, और अपने मरहुमिन को भी ना भूलें, अगर आपके मां बाप या कोई रिश्तेदार फौत हो चुके है तो उनकी मगफिरत के लिए भी दुआएं करे, इंशाल्लाह अल्लाह आपके तमाम जायज दुआओं को पूरा फरमाएगा।

क्या रोजा सिर्फ खजूर से ही खोला जा सकता है?

खजूर के साथ रोजा खोलना सुन्नत है लेकिन ऐसा नहीं है की अगर आप के पास खजूर नही है तो आप रोजा नहीं खोल सकते, आप पानी पी कर भी रोजा खोल सकते हो, पानी के साथ रोजा खोलना रसूल ए खुदा ﷺ की सुन्नत है, जो की सही हदीस से साबित है,

तिरमिजी शरीफ की हदीस 658 के मुताबिक रसूलल्लाह ﷺ ताज़ी खजूरों के साथ रोजा खोलते लेकिन अगर ताज़ी खजूर ना होती तो सुखी खजूर से भी रोजा खोल लेते लेकिन अगर सुखी खजुरें भी ना होती तो अल्लाह के रसूल ﷺ पानी के कुछ घूंट पीकर रोजा खोल लेते थे, तो पानी से रोजा खोलना भी सुन्नत है।

दोस्तों, अगर आप किसी लंबे सफर पर जा रहे हों तो सफर की ये दुआ जरूर पढ़ लेना।

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